आज का सामान्य ज्ञान
जी नहीं। वो वस्तु , (अंतरिक्ष की जगह), निरंतर , पृथ्वी के एक छोर से दूसरी छोर और वापिस पृथ्वी के केंद्र से हो के आती जाती रहेगी, जिसे सरल आवृति गति (Simple Harmonic motion ) कहते हैं। यह दीवाल घड़ी के पेण्डुलम जैसा होता है। इसे भौतिकी (Physics ) में ग्रेविटी टनल प्रॉब्लम (Gravity Tunnel Problem ) या gravity train problem बोलते हैं।
ऐसा इस कारण होता है , क्योंकि ज्यों ज्यों वस्तु पृथ्वी के केंद्र की ओर पहुँचती है त्यों त्यों पृथ्वी का प्रभावी द्रव्यमान (Effective mass) कम होता जाता है इस कारण वस्तु पर गुरुत्वाकर्षण के कारण लगता हुआ बल भी कम होते चला जाता है और पृथ्वी के केंद्र पर यह बल शून्य हो जाता है , वस्तु अपनी गतिक ऊर्जा के कारण पृथ्वी केंद्र से आगे बढ़ जाता है और शनै: शनै: गुरुत्वाकर्षण बल पुनः बढ़ने लगता है जो वस्तु को पृथ्वी सतह से वापिस खींच लेता है। पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक इस वस्तु को जाने में 42 मिनट लगेगा।
🎛️कुछ मज़ेदार तथ्य:--
▪️पृथ्वी के केंद्र पर वस्तु की गति 28,440 किलोमीटर/घंटा होगी। यह आवाज़ की गति (1235 कि मी/ घंटा) से 23 गुणा ज्यादा है ।
▪️पृथ्वी के केंद्र पर क्षण भर को भारहीनता का अनुभव होगा, क्योंकि बल शून्य है
▪️सुरंग के दोनों छोर जो पृथ्वी के सतह पर होंगे - वस्तु की गति शून्य, पर बल अधिकतम होगा
▪️सुरंग या पृथ्वी के केंद्र पर गति अधिकतम, पर बल शून्य होगा।
▪️वस्तु की अधिकतम गति -पृथ्वी के केंद्र पर - आवाज़ की 23 गुणी है। थोड़ी देर के लिए ये मान भी लें कि इसी गति से वस्तु पृथ्वी की सतह से बाहर निकल जाता है, तो भी वो अंतरिक्ष नहीं पहुँच पाएगा क्योंकि , अंतरिक्ष जाने के लिए पृथ्वी सतह पर न्यूनतम गति आवाज़ की 33 गुणी (40270 किलोमीटर/घंटा होनी चाहिए )
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