भारत की वीरांगना रानी दुर्गावती के सम्मान में 24 जून को बलिदान दिवस मनाया जाता है। रानी दुर्गावती का विवाह राजा दलपतशाह से हुआ था। दुर्भाग्यवश विवाह के चार वर्ष पश्चात ही राजा दलपतशाह का निधन हो गया। वर्तमान जबलपुर उनके राज्य का केन्द्र था।
रानी दुर्गावती के सुखी और सम्पन्न राज्य पर मालवा के मुस्लिम शासक बाजबहादुर ने कई बार आक्रमण किया, पर हर बार वह पराजित हुआ।
मुगल शासक अकबर भी राज्य को जीतकर रानी को अपने हरम में डालना चाहता था। उसने विवाद प्रारम्भ करने हेतु रानी के प्रिय श्वेत (सफेद) हाथी सरमन और उनके विश्वस्त सेनापति आधारसिंह को भेंट के रूप में अपने पास भेजने को कहा। रानी द्वारा मांग ठुकरा देने पर अकबर ने अपने एक संबंधी आसफ खां के नेतृत्व में गोण्डवाना साम्राज्य पर आक्रमण कर दिया। एक बार तो आसफ खां पराजित हुआ, पर अगली बार उसने दुगनी सेना और तत्परता (तैयारी) के साथ आक्रमण किया। दुर्गावती के पास उस समय बहुत अल्प (कम) सैनिक थे, जबलपुर के पास नरई नाले के किनारे मोर्चा लगाया तथा स्वयं पुरुष वेश में युद्ध का नेतृत्व किया। इस युद्ध में 3000 मुगल सैनिक मारे गये किंतु रानी दुर्गावती की सेना को अपार क्षति हुई थी।
अगले दिन 24 जून 1564 को मुगल सेना ने फिर आक्रमण किया। आज रानी का पक्ष अत्यंत दुर्बल था, अतः रानी ने अपने पुत्र नारायण को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया। तभी एक तीर उनकी भुजा में लगा, रानी ने उसे निकाल फेंका। दूसरे तीर ने उनकी आंख को बेध दिया, रानी ने इसे भी निकाला पर उसकी नोक आंख में ही रह गयी। तभी तीसरा तीर उनकी ग्रीवा (गर्दन) में आकर धंस गया।
रानी ने अंत समय निकट जानकर सेनापति आधारसिंह से आग्रह किया कि वह अपनी तलवार से उनकी ग्रीवा (गर्दन) काट दे, पर वह इसके लिए तत्पर (तैयार) नहीं हुआ। अतः रानी अपनी कटार स्वयं ही अपने सीने में भोंककर आत्म बलिदान के पथ पर बढ़ गयीं। महारानी दुर्गावती ने अकबर के सेनापति आसफ़ खान से लड़कर अपने प्राण छोड़ने से पहले पंद्रह वर्षों तक शासन किया था।
जबलपुर के पास जहां यह ऐतिहासिक युद्ध हुआ था, उस स्थान का नाम बरेला है, जो मंडला रोड पर स्थित है, वही रानी की समाधि बनी है। जबलपुर में स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय रानी के नाम पर बना हुआ है। भारत सरकार ने 24 जून 1988 रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर एक डाक टिकट जारी कर रानी दुर्गावती को स्मरण किया। जबलपुर में स्थित संग्रहालय का नाम भी रानी दुर्गावती के नाम पर है। मंडला जनपद (जिले) के शासकीय महाविद्यालय का नाम भी रानी दुर्गावती के नाम पर ही रखा गया है। दुर्गावती एक्सप्रेस ट्रेन भी चलाई जाती है आदि
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