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KHARAI CAMEL

●Name origin: From Gujarati “Khara” (saline) — denotes its adaptation to saline desert–coastal ecosystems. ●Unique feature: Only camel breed...


Nuclear Bomb Blast : परमाणु बम (एटम बम) या न्यूक्लियर बम दुनिया के सबसे खतरनाक हथियारों में से एक है, जो पल भर में लाखों लोगों की जान ले सकता है। यह बम यूरेनियम या प्लूटोनियम जैसे खास पदार्थों से बनता है।

जब ये पदार्थ टूटते हैं तो इस क्रिया को न्यूक्लियर फिशन कहते हैं, जो परमाणु बम में होती है। वहीं, जब ये पदार्थ मिलते हैं तो न्यूक्लियर फ्यूजन होता है, जिसे थर्मोन्यूक्लियर बम (हाइड्रोजन बम) कहते हैं। न्यूक्लियर बम से ज्यादा तबाही थर्मोन्यूक्लियर बम से होती है। हालांकि पाकिस्तान के पास ये बम होने की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।

जब न्यूक्लियर विस्फोट होता है तो बहुत ज्यादा ऊर्जा निकलती है। यह ऊर्जा इतनी ताकतवर होती है कि एक छोटा सा बम पूरे शहर को तबाह कर सकता है। यह ऊर्जा सूरज की तरह गर्मी और रोशनी पैदा करती है, लेकिन इसका असर जानलेवा होता है।

>> तीन प्रकार से नुकसान पहुंचाता है परमाणु बम <<

परमाणु बम विस्फोट तीन तरीके से नुकसान पहुंचाता है। पहला जब बम फटता है, तो बहुत तेज हवाएं और दबाव की लहरें निकलती हैं। ये हवाएं 1000 किलोमीटर प्रति घंटा से भी तेज हो सकती हैं। यह ऐसा है जैसे कोई विशाल तूफान आ जाए, जो इमारतें, पेड़, गाड़ियां, और हर चीज को पल में उड़ा दे। दूसरा बम से निकलने वाली गर्मी सूरज जितनी गर्म (6000-7000 डिग्री सेल्सियस) होती है। यह गर्मी लोगों की त्वचा को जला देती है, कपड़ों और पेड़ों में आग लगा देती है, और आसपास की चीजें पिघला देती है।

तीसरा नुकसान सबसे बड़ा और काफी लंबा होता होता है। तीसरा नुकसान रेडिएशन का होता है इसमें बम फटने के बाद हवा में एल्फा, बीटा और गामा जैसे जहरीले कण फैलते हैं। ये कण हवा, पानी, और मिट्टी को जहरीला कर देते हैं। अगर कोई इनके संपर्क में आए, तो उसे कैंसर, खून की बीमारी, या दूसरी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। ये रेडिएशन लंबे समय तक खतरा बना रहता है।

>> कितनी दूर तक होता है नुकसान <<

परमाणु बम की तबाही का दायरा इस बात पर निर्भर करता है कि बम कितना ताकतवर है। बम की ताकत को किलोटन या मेगाटन में मापते हैं। 1 किलोटन मतलब 1000 टन TNT (एक तरह का विस्फोटक) जितनी ताकत होता है। यह भी मायने रखता है कि बम जमीन पर या हवा में फटा है। हिरोशिमा में बम हवा में फटा था।

>> आज के परमाणु बम हैं दोगुने ताकतवर <<

आज के परमाणु बम और भी ताकतवर हैं। आज के समय में 100 किलोटन तक के बम हैं। अगर 100 किलोटन का बम फटेगा, तो 5-10 किलोमीटर तक भारी तबाही होगी। लाखों लोग तुरंत मर जाएंगे, इमारतें पूरी तरह ढह जाएंगी और हर तरफ आग फैल जाएगी। 10-20 किलोमीटर तक मध्यम नुकसान होगा। जबकि इमारतें आंशिक रूप से टूटेंगी, लोग घायल होंगे। 20-50 किलोमीटर तक और हल्का नुकसान होगा, जैसे खिड़कियां टूटना और लोगों छोटी चोटें आना आदि हो सकता है।

रेडिएशन के कण 100-150 किलोमीटर तक फैल सकते हैं, जिससे लाखों लोग बीमार हो सकते हैं। अगर 1 मेगाटन (1000 किलोटन) का बम फटे, तो 15-20 किलोमीटर तक भारी नुकसान और 50 किलोमीटर तक हल्का नुकसान होगा। रेडिएशन का असर सैकड़ों किलोमीटर तक हो सकता है, जो पूरे क्षेत्र को लंबे समय तक खतरे में डाल देगा।

>> हिरोशिमा में हवा में फटा था एटम बम <<

6 अगस्त 1945 में जापान के शहर हिरोशिमा में 'लिटिल बॉय' नाम का 15 किलोटन का बम फटा था। यह बम हवा में 580 मीटर की ऊंचाई पर फटा था। यह हमला अमेरिका ने किया था। इससे करीब 1,40,000 लोगों की जान चली गई थी। इसमें ज्यादातर लोग आम नागरिक थे। 1-2 किलोमीटर के दायरे में सब कुछ खत्म हो गया था। इमारतें धूल में मिल गईं, लोग तुरंत मर गए, और गर्मी ने हर चीज को जला दिया। गर्मी इतनी थी कि लोगों की त्वचा जल गई, कपड़े और पेड़ों में आग लग गई।

बम फटने के बाद 'काली बारिश' हुई, जिसमें रेडिएशन के जहरीले कण थे। यह बारिश 29 किलोमीटर तक फैल गई और लोगों को बीमार कर दिया। रेडिएशन से कैंसर, खून की बीमारी, और बच्चों में जन्मजात बीमारियां बढ़ीं। हिरोशिमा में आज फिर से लोग बस गए हैं, लेकिन कुछ लोग अभी भी रेडिएशन की बीमारियों से जूझ रहे हैं। यह घटना दुनिया के लिए एक सबक थी कि परमाणु बम का इस्तेमाल कितना खतरनाक है।

>> सब कुछ हो गया था खत्म <<

हिरोशिमा में जहां बम फटा वहां 2 किलोमीटर के दायरे में सब कुछ पूरी तरह खत्म हो गया था। इमारतें धूल में मिल गईं थी, वहां मौजूद लोग तुरंत मर गए और गर्मी ने हर चीज को जला दिया। वहां का नजारा ऐसा था कि जैसे वहां पहले कुछ भी नहीं था।

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