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अनुच्छेद 99 के बारे में  खबरों में क्यों? संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के खतरों को संबोधित करने के लिए संयुक्त ...

➡️सुप्रीम कोर्ट ने लोक-प्रतिनिधि अधिनियम 1951 को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने इस अधिनियम की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार दे दिया था। 

➡️इस प्रावधान के मुताबिक, आपराधिक मामले में (दो साल या उससे ज्यादा सजा के प्रावधान वाली धाराओं के तहत) दोषी करार किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को उस सूरत में अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता था, अगर उसकी ओर से ऊपरी न्यायालय में अपील दायर कर दी गई हो। 

➡️यानी धारा 8(4) दोषी सांसद, विधायक को अदालत के निर्णय के खिलाफ अपील लंबित होने के दौरान पद पर बने रहने की छूट प्रदान करती थी।सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान को 2013 में हटा दिया।

➡️सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से किसी भी कोर्ट में दोषी ठहराए जाते ही नेता की विधायकी-सासंदी चली जाती है। इसके साथ ही अगले छह साल के लिए वह व्यक्ति चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाता है। 

➡️सदस्यता तुरंत खत्म होने के फैसले को पलटने के लिए मनमोहन सिंह सरकार एक अध्यादेश लेकर आई। इसी अध्यादेश को राहुल ने फाड़ने की बात की थी।

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