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KHARAI CAMEL

●Name origin: From Gujarati “Khara” (saline) — denotes its adaptation to saline desert–coastal ecosystems. ●Unique feature: Only camel breed...

अपने कभी ध्यान नहीं दिया परंतु भारत की ज्यादातर भाषाओं में एक महत्वपूर्ण समानता है। संस्कृत और हिंदी से लेकर उड़िया और तेलुगु तक सभी भाषाओं के अक्षर गोल-गोल होते हैं जबकि ज्यादातर अक्षरों को रेखाओं से भी बनाया जा सकता है। जैसे हिंदी में- 'म' अक्षर में रेखाओं का उपयोग किया गया है लेकिन अ, आ, इ, ई से लेकर क्ष, त्र, ज्ञ तक ज्यादातर अक्षरों को गोल बनाया गया है। प्रश्न यह है कि ऐसा क्यों किया गया, क्या यह कोई इत्तेफाक है या फिर इसके पीछे कोई लॉजिक भी है. 

इसके पीछे के लॉजिक को समझने के लिए हमें उस समय की परिस्थितियों को समझना पड़ेगा जबकि भाषा का विकास हो रहा था। संस्कृत भाषा में लिखे जाने वाले ग्रंथ हो या फिर किसी भी दूसरी भाषा में लिखे जा रहे धार्मिक एवं ऐतिहासिक दस्तावेज। सभी को लिखने के लिए एक ही प्रकार की कलम दवात का उपयोग किया जा रहा था। किसी विषय को अनंत काल तक स्थाई रूप से लिखने के लिए ताम्रपत्र पर लिखने की परंपरा थी। 

यह सही है कि 'क' सहित ज्यादातर अक्षरों को रेखाओं से भी बनाया जा सकता है लेकिन यदि रेखाओं से उसे बनाते तो स्याही फैलने का खतरा ज्यादा रहता। गोल अक्षरों में स्याही के फैलने और अक्षर के बेकार हो जाने का खतरा अपेक्षाकृत कम रहता है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि अक्षर बनाने के लिए रेखाओं का उपयोग किया जाता तो ताम्रपत्र की उम्र कम हो जाती। संभव है वह लिखते समय खराब हो जाता। 

वैसे भी ब्रह्मांड की अज्ञात शक्तियों के कारण ज्यादातर चीजें गोल हैं।

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