:::: MENU ::::

अनुच्छेद 99 के बारे में  खबरों में क्यों? संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के खतरों को संबोधित करने के लिए संयुक्त ...

दोषी को 'तब तक फांसी के फंदे पर लटका कर रखा जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए'. यह वाक्यांश क्रिमिनल प्रोसीजर के फॉर्म नंबर 42 पर छपे तीन वाक्यों के दूसरे भाग का हिस्सा है, जिसे ब्लैक वारंट के नाम से जाना जाता है. दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) का फॉर्म नंबर 42 असल में, दोषी को फांसी की सजा का अनिवार्य आदेश है, जिसे मौत की सजा सुनाई गई है.

ब्लैक वारंट दंड प्रक्रिया संहिता में फॉर्म्स की एक सूची का हिस्सा है. जिस पर किसी अपराध की जांच, साक्ष्य एकत्र करने, निर्दोषता का निर्धारण करने या अभियुक्तों को अपराधी ठहराने और उन्हे दंडित करने की प्रक्रिया का विवरण होता है. दंड प्रक्रिया संहिता में ब्लैक वारंट 42वां फॉर्म होता है जिसे 'वारंट ऑफ एक्ज़ीक्युशन ऑफ़ ए सेंटेंस ऑफ डेथ' कहा जाता है.

⚫क्या होता है ब्लैक वारंट में
ब्लैक वारंट उस जेल प्रभारी को संबोधित करते हुए भेजा जाता है, जहां दोषी को कैद करके रखा गया होता है. इसके बाद दोषी का नाम होता है जिसे मौत की सजा सुनाई गई है. ब्लैक वारंट में कोर्ट की ओर से दी गई मौत की सजा की पुष्टि भी होती है. ब्लैक वारंट में दोषी का नाम दर्ज होता है और यह भी लिखा होता है कि दोषी को 'तब तक फांसी के फंदे पर लटका कर रखा जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए'. इस वारंट में दोषी को फांसी देने के समय और स्थान का भी बकायदा जिक्र होता है. साथ ही ब्लैक वारंट में ट्रायल कोर्ट के उस जज का सिग्नेचर भी होता है, जिसने मौत की सजा सुनाई होती है.

▪️◼️◾🔳⚫🔳◾◼️▪️▪️◼️◾🔳⚫🔳◾◼️▪️


0 comments:

Popular Posts