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अनुच्छेद 99 के बारे में  खबरों में क्यों? संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के खतरों को संबोधित करने के लिए संयुक्त ...


यह एक लुप्तप्राय प्राइमेट प्रजाति ( Primate Species ) है , जिसका वैज्ञानिक नाम ट्रेचीपिथेकस गेई ( Trachypithecus geei ) है ... 

• गोल्डन लंगूर भूटान और भारत के सीमा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं । भारत में इन्हें असम के चिरांग , कोकराझार , धुबरी और बोंगाईगांव जिलों में देखा जा सकता है ।

• इस प्रजाति को उनके फर के रंग से आसानी से पहचाना जा सकता है । ये असम के दक्षिणी भाग में आरक्षित वनों में पाए जाते हैं जो मानवजनित गतिविधियों से अत्यधिक प्रभावित हैं । असम के रायमोना राष्ट्रीय उद्यान में गोल्डन लंगूर मुख्य आकर्षण होता है । 

• वैज्ञानिकों के एक हालिया अध्ययन के अनुसार गोल्डन लंगूर के आवास में उल्लेखनीय गिरावट हो रही है । इस क्षेत्र में निवास योग्य कुल क्षेत्रफल ( 66,320 वर्ग किमी . ) में से वर्तमान में केवल 12,265 वर्ग किमी ( 18.49 % ) इनके लिए उपयुक्त है , जो कि वर्ष 2031 तक घटकर 8884 वर्ग किमी . तक हो जाएगा ।

 • विदित है कि गोल्डन लंगूर साइट्स CITES के परिशिष्ट I , भारतीय वन्यजीव ( संरक्षण ) अधिनियम , 1972 की अनुसूची I तथा IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची में ' संकटग्रस्त ' ( Endangered ) श्रेणी में वर्गीकृत है । इसे दुनिया के 25 सबसे लुप्तप्राय प्राइमेट्स के रूप में सूचीबद्ध किया गया है

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