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KHARAI CAMEL

●Name origin: From Gujarati “Khara” (saline) — denotes its adaptation to saline desert–coastal ecosystems. ●Unique feature: Only camel breed...


India: Indian Railway:

 केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने स्वदेशी स्वचलित ट्रेन सुरक्षा (ATP) कवच सिस्टम को लेकर कही बड़ी बात। वैष्णव ने कहा कि अगले एक साल में दो हजार किलोमीटर लंबी रेल लाइनों में यह सिस्टम लगेगा। जबकि इसके बाद हर साल 4 से 5 हजार किलोमीटर लाइनों में इसको लगाते जाएंगे। कवच के तहत लगभग 34,000 किलोमीटर नेटवर्क लाया जाएगा। कवच ऐसी स्वदेशी तकनीक है, जिससे एक ही ट्रेक पर आमने-सामने दो ट्रेनों के आने के बावजूद हादसा नहीं होगा।

एक ही रेलवे ट्रेक पर आमने-सामने दो ट्रेन आ जाए तो उनके बीच अब टक्कर नहीं होगी, बल्कि ‘कवच’ (Kavach) के चलते दोनों ट्रेनों के पहिए करीब 300 से 400 मीटर दूर थम जाएंगे। यह खासियय स्वदेशी तकनीक ‘कवच’ सिस्टम में है। सिकंदराबाद के समीप इसके सफल परीक्षण के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हमारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के विजन में पूर्ण विश्वास है। इस साल हम 2 हजार किलोमीटर इस तकनीक को लगाएंगे। जबकि आगे हम 4 से 5 हजार किलोमीटर हर साल इस तकनीक को लगाते चलेंगे। साथ ही तकनीक को निर्यात भी किया जाएगा। इससे पहले रेलवे ने स्वदेशी स्वचलित ट्रेन सुरक्षा (ATP) कवच सिस्टम का सफल परीक्षण किया। इसके लिए तेलंगाना के सिकंदराबाद के समीप सनतनगर-शंकरपल्ली मार्ग पर दो ट्रेनों को आमने-सामने चलाया गया, जिसमें एक ट्रेन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मौजूद रहे। जबकि दूसरी ट्रेन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी.के.त्रिपाठी समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे। जिस ट्रेन में रेल मंत्री वैष्णव सवार थे, उसे तेज स्पीड में चलाया गया। संकेत मिलने पर वैष्णव वाली ट्रेन सामने से आ रही दूसरी ट्रेन के करीब 380 मीटर पहले ही अपने आप ब्रेक लग गए। रेल मंत्री ने इसके लिए सभी को बधाई दी है।

ऐसे काम करता है कवच (Kavach)

रेलवे अधिकारियों ने कहा कि कवच रेडियो संचार आधारित कोलिजन डिवाइस नेटवर्क है, जो ट्रेन हादसे रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। सिस्टम तीन स्थितियों में काम करता है। जब ऐसे सिग्नल से ट्रेन गुजरती है, जहां से गुजरने की अनुमति नहीं होती है तो इसके जरिए खतरे वाला सिग्नल भेजा जाता है। लोको पायलट अगर ट्रेन को रोकने में विफल साबित होता है तो फिर 'कवच' तकनीक से अपने आप ट्रेन के ब्रेक लग जाते हैं और हादसे से ट्रेन बच जाती है। इस तकनीक को रेलवे सुरक्षा प्रमाणन के सबसे बड़े स्तर एसआइएल-4 (सिस्टम इंटिग्रेटी लेवल-4) मिला हुआ है।

रेलवे कर रहा योजनाबद्ध कार्य

रेलवे यातायात का 96 त्न उच्च घनत्व नेटवर्क और अत्यधिक प्रयुक्त नेटवर्क रेल मार्गों पर किया जाता है। इस यातायात को सुरक्षित निकालने के लिए रेलवे बोर्ड कवच कार्यों को योजनाबद्ध तरीके से कर रहा है। साल 2022 के केंद्रीय बजट में आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत 2 हजार किलोमीटर तक के रेल नेटवर्क को ‘कवच’ के तहत लाने की योजना है। दक्षिण मध्य रेलवे में अब तक कवच को 1098 किलोमीटर मार्ग और 65 इंजनों पर लगाया जा चुका पर लगाया गया है। कवच को उच्च घनत्व वाले दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग पर भी लगाने की योजना है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 3000 किलोमीटर है। इस डिजिटल प्रणाली के संचालन पर 50 लाख रुपए प्रति किमी खर्च, जबकि वैश्विक स्तर पर चार गुना अधिक है।

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