(साभार बीबीसी )
संयुक्त राष्ट्र की आम सभा (यूएनजीए) में बुधवार को रूस के ख़िलाफ़ यूक्रेन पर हमले को लेकर निंदा प्रस्ताव लाया गया था. ये प्रस्ताव 141-5 वोट से पास हो गया.
इस प्रस्ताव में कहा गया है कि रूस यूक्रेन से अपने सैनिकों को बिना शर्त वापस बुलाए. यूएनजीए में कुल 193 देशों में से 141 देशों ने रूस के ख़िलाफ़ वोटिंग की और पाँच देशों ने रूस का साथ दिया.
35 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. इनमें भारत, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश और श्रीलंका भी शामिल हैं.
इसके बाद रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने अल जज़ीरा से कहा कि ''रूस के कई दोस्त हैं और उसे अलग-थलग करना नामुमकिन है.''
साथ ही उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों ने रूस के साथ नई यूरोपीय सुरक्षा व्यवस्था पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है.
लेकिन, रूस के दावे के बीच ये भी अहम है कि मध्य-पूर्व के देशों ने यूएनजीए में कैसे मतदान किया. मध्य-पूर्व के कई देशों के साथ रूस के अच्छे संबंध माने जाते हैं. ऐसे में उनसे रूस को कितना साथ मिला है?
इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात सुरक्षा परिषद में रूस के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पर वोटिंग से भारत की तरह बाहर रहा था.
चार देश इसराइल, कुवैत, क़तर और तुर्की ने यूएनजीए में रूस के ख़िलाफ़ इस प्रस्ताव को पेश किया.
संयुक्त अरब अमीरात के प्रतिनिधि ने यूएन की आम सभा में युद्ध से पैदा हुए मानवीय संकट को लेकर चिंता ज़ाहिर की और नई कूटनीति और बातचीत के लिए अपील की. लेकिन, रूस की स्पष्ट रूप से निंदा नहीं की.
अल्जीरिया
अल्जीरिया ने रूस के ख़िलाफ़ मतदान में हिस्सा नहीं लिया. इसके लिए अल्जीरिया के प्रतिनिधि ने कहा, ''जब मेरा देश यूक्रेन की स्थितियों को देख रहा है तो मेरा प्रतिनिधिमंडल एक बार फिर से इस बात पर ज़ोर देना चाहता है कि अल्जीरिया संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों और उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्ध है. अल्जीरिया केवल मौजूदा स्थिति में सुधार के लिए दूसरे सभी प्रयासों और कूटनीतिक मांगों में हिस्सा ले सकता है.''
बहरीन
बहरीन ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया है. बहरीन ने कहा, ''हम यूएन चार्टर के सिद्धांतों के महत्व के प्रति हमारे दृढ़ विश्वास पर आधारित ड्राफ़्ट प्रस्ताव के पक्ष में वोट करते हैं. बहरीन उन सभी प्रयासों के लिए अपना समर्थन देता है जो दुश्मनी ख़त्म करने और बातचीत को फिर से शुरू करने और शांति प्राप्त करने के लिए ज़रूरी सभी राजनयिक तरीक़ों का इस्तेमाल करने की मांग करते हैं.''
मिस्र
मिस्र ने भी प्रस्ताव के समर्थन मे वोट किया. साथ ही प्रस्ताव के संबंध में कुछ बिंदुओं की तरफ़ ध्यान भी दिलाया.
मिस्र ने कहा, ''बातचीत और शांतिपूर्ण तरीक़ों से इस संकट को समाप्त करने के लिए तुरंत राजनयिक समाधान खोजना... हमें वर्तमान संकट के मूल कारणों से निपटने की ज़रूरत को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए.
मिस्र बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के बाहर आर्थिक प्रतिबंधों को खारिज करता है. पिछले अनुभवों से पता चला है कि इस तरह के प्रतिबंधों के गंभीर मानवीय परिणाम हो सकते हैं और इससे नागरिकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.''
इसराइल
इसराइल ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. इसराइल ने कहा, ''यूक्रेन का रूस पर हमला अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का गंभीर उल्लंघन है. हम इसकी निंदा करते हैं. हम रूस से हमले को रोकने और यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपील पर ध्यान देने का आह्वान करते हैं.''
कुवैत
कुवैत ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. कुवैत ने कहा, ''यूक्रेन में बनी स्थिति लोगों की हत्या और घायल होने के साथ-साथ लोगों के विस्थापन की वजह बनी है. इसके लिए हमें शांतिपूर्ण तरीक़ों से विवादों को सुलझाने के लिए एक दृढ़ और तत्काल रुख़ अपनाने की ज़रूरत है.''
''कुवैत एक छोटे से देश के तौर पर अपने 1991 के हमले पर कब्ज़े के दर्दनाक अनुभव को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय क़ानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करने के लिए अपनी स्थिति को बरकरार रखता है. इस नज़रिए से हम देशों में ताक़त के इस्तेमाल का विरोध करते हैं.''
लेबनान
लेबनान में भी प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया है और कहा, ''लेबनान ने इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया क्योंकि संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक सदस्य लेबनान, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों में विश्वास करता है.''
''मध्य-पूर्व में होने के कारण हम युद्ध को लेकर चिंता में हैं क्योंकि इसके प्रभाव सिर्फ़ यूरोप तक ही सीमित नहीं रहने वाले हैं. पिछले दो विश्व युद्ध दुनिया पर अपने गहरे निशान छोड़ गए हैं. मुझे उम्मीद है कि हम पिछले अनुभवों से सीखेंगे और सिर्फ़ शांति के लिए काम करेंगे.''
क़तर
कतर ने प्रस्ताव के पक्ष में समर्थन दिया. कतर ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में दुनिया ने सैन्य संघर्ष के नतीजों को देखा है. यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए ख़तरा बढ़ाता है. क़तर सभी पक्षों से संयम बरतने और टकराव के समाधान के लिए शांतिपूर्ण और कूटनीतिक तरीक़ों के इस्तेमाल की अपील करता है.
तुर्की
तुर्की ने भी पक्ष में वोट किया और कहा, ''हम दोहराते हैं कि यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस का सैन्य हमला यूएनजीए के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है. वो सिद्धांत जो युद्ध रोकने और मानव जाति को विनाशकारी परिणामों से बचाने के लिए बने हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस आक्रामक रवैये पर केवल मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता. हम रूस से वैश्विक समुदाय की मांगों पर ध्यान देने की अपील करते हैं.''
संयुक्त अरब अमीरात
संयुक्त अरब अमीरात ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया और कहा, ''हमने तेज़ी से नागरिकों के हताहत होने और बड़े पैमाने पर विस्थापन की रिपोर्ट देखी है, ऐसा यूरोप ने दशकों ने अनुभव नहीं किया. यूएई इन घटनाओं से बेहद चिंतित है.''
''वैश्विक एकजुटता का अर्थ दूसरों की अनदेखी करते हुए दुनिया के कुछ हिस्सों में संघर्षों पर ध्यान केंद्रित करने से ज़्यादा है. हम सभी को संवाद को बढ़ावा देने, दुश्मनी को ख़त्म करने की दिशा में काम करने और सबसे ज़रूरतमंद लोगों की मानवीय स्थिति को समझने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों को तेज़ करने की ज़रूरत है.''
सीरिया
सीरिया ने प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया. अपने वोट के पक्ष में देश ने कहा, ''सीरिया इस मसौदा प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट करता है और पश्चिम की आधिपत्य की नीति को ख़ारिज करता है. इसका उद्देश्य संकटों को लंबा करना, हलचल पैदा करना, अराजकता फैलाना और जबरन एकतरफ़ा उपाय करना है.''
''जो लोग आज संयुक्त राष्ट्र चार्टर की रक्षा को लेकर उत्साह दिखाते हैं, उन्हें इसरायल के अरब भूमि पर कब्ज़े के ख़िलाफ़ और तुर्की और अमेरिकी सेना के सीरिया की संप्रभुता के उल्लंघन के ख़िलाफ़ समान उत्साह दिखाना चाहिए.''
ईरान
ईरान ने वोटिंग में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया. ईरान ने कहा, ''पूर्वी यूरोप के संवेदनशील क्षेत्रों में वर्तमान मुश्किलों को अमेरिका और नेटो की उकसावे वाली कार्रवाइयों और फ़ैसलों ने बढ़ा दिया है. रूस की सुरक्षा चिंताओं का सम्मान किया जाना चाहिए. हम मानते हैं कि आम सभा के सामने लाए गए प्रस्ताव में शांतिपूर्ण तरीकों से संकट को हल करने के लिए निष्पक्षता और यथार्थवादी तरीक़ों का अभाव है.''
इराक़
इराक़ ने भी वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया और कहा, ''इराक़ रूस और यूक्रेन के बीच बिगड़ती स्थिति और बढ़ते तनाव के लिए खेद प्रकट करता है. साथ ही इराक़ सभी पक्षों को बातचीत और कूटनीतिक तरीक़ों को प्राथमिकता देकर इस संकट को सुलझाने की अपील करता है. इराक़ इस संकट और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में होने वाले विभाजन से आतंकवादियों के फायदा उठाने को लेकर चिंता जाहिर करता है.''
सऊदी अरब, जॉर्डन, यमन, लीबिया, मोरक्को, ओमान ने भी रूस के हमले के ख़िलाफ़ लाए गए प्रस्ताव का समर्थन किया है.
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