हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने हरित और सतत विकास साझेदारी की स्थापना के लिए संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों देशों द्वारा यह साझेदारी द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को तेज करने तथा जलवायु संरक्षण की दिशा में कार्रवाई में तेजी लाने के उद्देश्य से की गई है। इसके तहत जर्मनी द्वारा वर्ष 2030 तक भारत में जलवायु परिवर्तन से संबंधित परियोजनाओं में €10 बिलियन का निवेश किया जाएगा।
दोनों देशों द्वारा ग्रीन हाइड्रोजन पर किए गए समझौते के तहत ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग, भंडारण और वितरण में सहयोग को मजबूत करने के लिए एक ‘इंडो-जर्मन ग्रीन हाइड्रोजन टास्क फोर्स’ की स्थापना की जाएगी।
ग्रीन हाइड्रोजन के बारे में :
इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा पानी को विभाजित करके उत्पन्न की गई हाइड्रोजन को ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ कहते हैं। इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन के साथ ऑक्सीजन का उत्पादन किया जाता है। ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग से किया जाता है। भारत में केंद्र सरकार ने 2030 तक 5 मिलियन टन (mt) हरित हाइड्रोजन उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।
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