संदर्भ :-
ताइवान को उम्मीद है कि जिस तरह से रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने पर विश्व ने रूस पर प्रतिबंध पर लगा दिए । है , वैसे ही यदि बीजिंग ताइवान के द्वीपीय पर हमला करता है तो दुनिया चीन पर भी प्रतिबंध लगा देगी । ताइवान , यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए रूस पर पश्चिमी देशों लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन करने वाले देशों में शामिल हो गया है ।
✓ यूक्रेन पर हमले ने ताइवान को सुर्खियों में क्यों ला दिया है ?
• यूक्रेन की दुर्दशा को ताइवान में व्यापक सार्वजनिक सहानुभूति मिल रही है , क्योंकि कई लोग यूक्रेन में जो कुछ हो रहा है उसमे , और यदि चीन कभी भी ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने के लिए बल का उपयोग करता है , तो उस समय की अपनी स्थिति के बीच समानता के रूप में देखते हैं ।
• यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से , चीन द्वारा इसी तरह के कदम उठाने से सावधान रहते हुए ताइवान ने अपने सर्तकता स्तर को बढ़ा दिया है , हालांकि ताइपे ' में सरकार ने आसन्न चीनी हमले के कोई संकेत नहीं दिए हैं ।
✓ हालिया झड़पें : -
चीन के सशस्त्र बलों द्वारा अपने संयुक्त युद्ध अभियानों में सुधार करने के लिए पिछले सप्ताह ताइवान की सीमा के नजदीक एक और दौर का अभ्यास किया गया ।
ताइवान द्वारा पिछले दो वर्षों से अपनी सीमा अधिकतर द्वीप के वायु रक्षा चिह्नित क्षेत्र ' ( air defence identification zone or ADIZ ) – के नजदीक लगातार चीनी सैन्य गतिविधियों के बारे में शिकायत की जा रही है ।
🇨🇳 चीन- ताइवान संबंध :
पृष्ठभूमि :-
चीन , अपनी ' वन चाइना ' ( One China ) नीति के जरिए ताइवान पर अपना दावा करता है । सन् 1949 में चीन में दो दशक तक चले गृहयुद्ध के अंत में जब पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ' के संस्थापक माओत्से तुंग ने पूरे चीन पर अपना अधिकार जमा लिया तो विरोधी राष्ट्रवादी पार्टी के नेता और समर्थक ताइवान द्वीप पर भाग गए । इसके बाद से ' पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ' ने ताइवान को बीजिंग के अधीन लाने , जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग करने का भी प्रण लिया हुआ है ।
• चीन , ताइवान का शीर्ष व्यापार भागीदार है । वर्ष 2018 के दौरान दोनों देशों के मध्य 226 बिलियन डॉलर के कुल व्यापार हुआ था ।
• हालांकि , ताइवान एक स्वशासित देश है और वास्तविक रूप से स्वतंत्र है , लेकिन इसने कभी भी औपचारिक रूप से चीन से स्वतंत्रता की घोषणा नहीं की है ।
• " एक देश , दो प्रणाली " ( one country , two systems ) सूत्र के तहत , ताइवान , अपने मामलों को खुद संचालित करता है , हांगकांग में इसी प्रकार की समान व्यवस्था का उपयोग किया जाता है ।
वर्तमान में , चीन , ताइवान पर अपना दावा करता है , और इसे एक राष्ट्र के रूप में ' मान्यता देने वाले देशों के साथ राजनयिक संबंध नहीं रखने की बात करता है ।
✓ताइवान के संबंध में भारत का दृष्टिकोण :
• ताइवान के संबंध में भारत की नीति स्पष्ट और सुसंगत है , और यह व्यापार , निवेश और पर्यटन के क्षेत्रों में वार्ता को बढ़ावा देने पर केंद्रित South China Sea है ।
• सरकार व्यापार , निवेश , पर्यटन , संस्कृति , शिक्षा और इस तरह के अन्य क्षेत्रों में , लोगों के परस्पर संपर्क एवं वार्ताओं को बढ़ावा देती है ।
● हालांकि , भारत के ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं , लेकिन दोनों पक्षों के बीच व्यापार और लोगों से लोगों के बीच संबंध हैं ।
🇮🇳 भारत- ताइवान संबंध :
• यद्यपि भारत- ताइवान के मध्य औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं , फिर भी ताइवान और भारत विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर सहयोग कर रहे हैं ।
● भारत ने वर्ष 2010 से चीन की ' वन चाइना ' नीति का समर्थन करने से इनकार कर दिया है ।
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