संदर्भ :-
वर्तमान में श्रीलंका एक कठिन आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है ।
✓ मौजूदा स्थितिः
● देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी हो चुकी है ।
• श्रीलंका सरकार , ईंधन सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं के आयात हेतु भुगतान करने में असमर्थ है ।
• इसकी वजह से देश में 13 घंटे तक की बिजली कटौती की जा रही है ।
• श्रीलंका के आम नागरिक भी आवश्यक वस्तुओं की कमी और बहती मुद्रास्फीति का सामना कर रहे हैं ।
• बीते माह अर्थात फरवरी तक देश का कुल मुद्रा भंडार केवल 2.31 बिलियन डॉलर ही बचा था , जबकि इसको 2022 में लगभग 4 बिलियन डॉलर के ऋण चुकाना बाकी है । इस ऋण में जुलाई में परिपक्व होने वाला 51 बिलियन का अंतर्राष्ट्रीय सॉवरेन बॉन्ड ' ( international sovereign bond ISB ) भी शामिल है ।
✓श्रीलंका को इस स्थिति की ओर ले जाने वाले कारक :
• क्रमिक सरकारों द्वारा आर्थिक कुप्रबंधनः एक के बाद एक आने वाली सरकारों ने एक दोहरा घाटे बजट की कमी तथा चालू खाता घाटा की स्थितियां उत्पन्न की और इसे जारी भी रखा ।
● वर्तमान सरकार की लोकलुभावन नीतियां : उदाहरण के लिए करों में कटौती ।
• महामारी का प्रभाव : देश की महत्वपूर्ण पर्यटन अर्थव्यवस्था में नुकसान और साथ ही विदेशी श्रमिकों द्वारा देश में भेजे जाने वाले धन की कमी ।
•चावल उत्पादन में कमी : वर्ष 2021 में वर्तमान सरकार द्वारा सभी रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगाने प्रस्ताव किया गया था , जिससे देश में चावल उत्पादन में भारी कमी हुई , हालंकि बाद में इस फैसले को उलट दिया गया था ।
✓ भारत से सहयोग :
• भारत के साथ हस्ताक्षरित 500 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन के अंतर्गत , एक डीजल शिपमेंट के जल्द ही श्रीलंका पहुंचने की उम्मीद है ।
• श्रीलंका और भारत ने भोजन और दवा सहित आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए $ 1 बिलियन की क्रेडिट लाइन पर हस्ताक्षर किए हैं ।
• श्रीलंका सरकार ने , नई दिल्ली से कम से कम एक अरब डॉलर की मांग भी की है ।
✓ श्रीलंका की मदद करना भारत के हित में क्यों है ?
• महत्वपूर्ण रूप से , श्रीलंका का चीन के साथ में कोई भी मोहभंग , हिंद - प्रशांत क्षेत्र में चीन के स्टिंग ऑफ पार्ल्स ( String of Pearls ) के खेल से श्रीलंकाई द्वीपसमूह को बाहर रखने के भारत के प्रयास को आसान बनाता है
•। इस क्षेत्र में चीनी उपस्थिति और प्रभाव को नियंत्रित करना , भारत के हित में है ।
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