• हाल ही में जारी , जापान की ' डिप्लोमैटिक ब्लूबुक ' 2022 ( Diplomatic Bluebook , 2022 ) में ' कुरील द्वीप समूह ' ( Kuril Islands ) को रूस के “ अवैध कब्जे " वाले क्षेत्र के रूप में वर्णित किया है । ' कुरील द्वीप समूह ' को जापान अपना ' उत्तरी क्षेत्र ' बताता है और रूस द्वारा इसे ' साउथ कुरील ' कहा जाता है ।
• लगभग दो दशकों में , पहली बार जापान ने ' कुरील द्वीप समूह ' पर विवाद का वर्णन करने के लिए इस ' वाक्यांश ' अर्थात “ अवैध कब्जे वाले क्षेत्र का उपयोग किया है ।
¶ कुरील द्वीप / उत्तरी क्षेत्र :-
• कुरील द्वीप , चार द्वीपों का एक समूह है , जो जापान के सबसे उत्तरी प्रांत ' होक्काइडो ' के उत्तर में ओखोटस्क सागर और प्रशांत महासागर के बीच स्थित है ।
•मास्को और टोक्यो , दोनों इस क्षेत्र पर अपनी संप्रभुता का दावा करते हैं , हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद से इन द्वीपों पर रूस का नियंत्रण है ।
¶ इन अलग - अलग दावों का आधार :
•टोक्यो के अनुसार , द्वीपों पर जापान की संप्रभुता की पुष्टि , 1855 की ' शिमोडा संधि ' ( Shimoda Treaty of 1855 ) , सखालिन द्वीप के निर्विरोध नियंत्रण के बदले कुरील द्वीप समूह पर जापान के अधिकार के लिए 1875 की संधि ( सेंट पीटर्सबर्ग की संधि ) और 1904-05 का रूस - जापानी युद्ध जिसमे जापान विजयी हुआ था के पश्चात ' 1905 की पोर्ट्समाउथ संधि ' जैसी कई संधियों से होती है । दूसरी ओर , रूस द्वारा ' याल्टा समझौते ' ( 1945 ) और पॉट्सडैम घोषणा ( 1945 ) को अपनी संप्रभुता के प्रमाण के रूप में दावा किया जाता है , इसके अलावा रूस तर्क देता है कि 1951 की सैन फ्रांसिस्को संधि इस बात का कानूनी सबूत है कि जापान ने इन द्वीपों पर रूसी संप्रभुता को स्वीकार किया था ।
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