संदर्भ : -
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने ' नगर निगम चुनाव ' के लिए मतपत्रों से ' चुनाव चिन्ह हटाने की मांग करने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है ।
संबंधित प्रकरण : -
• याचिकाकर्ता ने तर्क देते हुए कहा है , कि नगरपालिका चुनावों के पीछे का उद्देश्य " स्थानीय स्वशासन " है । मतपत्रों पर राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्नों को दिखाए जाने से यह उद्देश्य अपने मूल लक्ष्य से दूर हट जाता है ।
• याचिका में तर्क दिया गया है , कि किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के मौजूदा प्रतीक वाले उम्मीदवार को किसी नए प्रतीक चिन्ह वाले उम्मीदवार पर अनुचित फायदा मिलता है ।
राजनीतिक दलों को प्रतीक चिह्न आवंटन हेतु प्रक्रिया : -
निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार किसी राजनीतिक दल को चुनाव चिह्न का आवंटन करने हेतु निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है .
• नामांकन पत्र दाखिल करने के समय राजनीतिक दल / उम्मीदवार को निर्वाचन आयोग की प्रतीक चिह्नों की सूची में से तीन प्रतीक चिह्न प्रदान किये जाते हैं ।
• उनमें से , राजनीतिक दल / उम्मीदवार को पहले आओ पहले पाओ ' आधार पर एक चुनाव चिह्न आवंटित किया जाता है ।
• किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के विभाजित होने पर पार्टी को आवंटित प्रतीक / चुनाव चिह्न पर निर्वाचन आयोग द्वारा निर्णय लिया जाता है ।
निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार किसी राजनीतिक दल को चुनाव चिह्न का आवंटन करने हेतु निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है :
1. नामांकन पत्र दाखिल करने के समय राजनीतिक दल / उम्मीदवार को निर्वाचन आयोग की प्रतीक चिह्नों की सूची में से तीन प्रतीक चिह्न प्रदान किये जाते हैं ।
2. उनमें से , राजनीतिक दल / उम्मीदवार को ' पहले आओ पहले पाओ आधार पर एक चुनाव चिह्न आवंटित किया जाता है ।
3. किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के विभाजित होने पर पार्टी को आवंटित प्रतीक / चुनाव चिह्न पर निर्वाचन आयोग द्वारा निर्णय लिया जाता है ।
निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ : -
चुनाव चिह्न ( आरक्षण और आवंटन ) आदेश , 1968 के अंतर्गत निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने और प्रतीक चिह्न आवंटित करने का अधिकार दिया गया है ।
• आदेश के अनुच्छेद 15 के तहत , निर्वाचन आयोग , प्रतिद्वंद्वी समूहों अथवा किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के गुटों द्वारा पार्टी के नाम तथा प्रतीक चिह्न संबंधी दावों के मामलों पर निर्णय ले सकता है ।
• निर्वाचन आयोग , राजनीतिक दलों के किसी विवाद अथवा विलय पर निर्णय लेने हेतु एकमात्र प्राधिकरण भी है । सर्वोच न्यायालय ने ' सादिक अली तथा अन्य बनाम भारत निर्वाचन आयोग मामले ( 1971 ) में इसकी वैधता को बरकरार रखा ।
चुनाव चिह्नों के प्रकारः- चुनाव चिह्न ( आरक्षण और आवंटन ) ( संशोधन ) आदेश , 2017 ( Election Symbols ( Reservation and Allotment ) ( Amendment ) Order , 2017 ) के अनुसार , राजनीतिक दलों के प्रतीक चिह्न निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं -
1. आरक्षित ( Reserved ) : देश भर में आठ राष्ट्रीय दलों और 64 राज्य दलों को ' आरक्षित ' प्रतीक चिह्न प्रदान किये गए हैं । 2. स्वतंत्र ( Free ) : निर्वाचन आयोग के पास लगभग 200 ' स्वतंत्र ' प्रतीक चिह्नों का एक कोष है , जिन्हें चुनावों से पहले अचानक नजर आने वाले हजारों गैर - मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दलों को आवंटित किया जाता है । पार्टी का विभाजन होने पर ' चुनाव चिह्न ' संबंधी विवाद में निर्वाचन आयोग की शक्तियां : विधायिका के बाहर किसी राजनीतिक दल का विभाजन होने पर , ' निर्वाचन प्रतीक ( आरक्षण और आवंटन ) आदेश , 1968 के पैरा 15 में कहा गया है : " निर्वाचन आयोग जब इस बात इस संतुष्ट हो जाता है कि किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल में दो या अधिक प्रतिद्वंद्वी वर्ग या समूह हो गए हैं और प्रत्येक प्रतिद्वंद्वी वर्ग या समूह , उस राजनीतिक दल पर दावा करता है , तो ऐसी स्थिति में , निर्वाचन आयोग को , इनमे से किसी एक प्रतिद्वंद्वी वर्ग या समूह को ' राजनीतिक दल ' के रूप में मान्यता देने , अथवा इनमे से किसी को भी मान्यता नहीं देने संबंधी निर्णय लेने की शक्ति होगी , और आयोग का निर्णय इन सभी प्रतिद्वंद्वी वर्गों या समूहों के लिए बाध्यकारी होगा ।
• यह प्रावधान ' मान्यता प्राप्त सभी राष्ट्रीय और राज्यीय दलों ( इस मामले में लोजपा की तरह ) में होने वाले विवादों पर लागू होता है ।
• पंजीकृत , लेकिन गैर - मान्यता प्राप्त पार्टियों में विभाजन होने पर , निर्वाचन आयोग आमतौर पर , संघर्षरत गुटों को अपने मतभेदों को आंतरिक रूप से हल करने या अ दालत जाने की सलाह देता है ।
कृपया ध्यान दें , कि वर्ष 1968 से पहले निर्वाचन आयोग द्वारा ' चुनाव आचरण नियम , 1961 के तहत अधिसूचना और कार्यकारी आदेश जारी किए जाते थे ।
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