संदर्भ :-
हाल ही में , पंजाब सरकार द्वारा 16 वीं सदी के संत गुरु नाभा दास ( Guru Nabha Dass ) की जयंती पर ' राजपत्रित अवकाश की घोषणा की गयी है ।
' गुरु नाभा दास ' के बारे में : -
•' गुरु नाभा दास ' का जन्म 8 अप्रैल , 1537 को वर्तमान तेलंगाना के खम्मम जिले में गोदावरी नदी के तट पर भद्राचलम गांव में हुआ था ।
•धार्मिक गुरु अग्रदास और कील दास ।
• इनका ताल्लुक महाशा ' ( Mahasha ) समुदाय से था , जिसे डोम या डुमना समुदाय के रूप में भी जाना जाता है । यह वर्तमान के अनुसूचित जाति समुदायों में से एक है ।
• इस समुदाय के लोगों को नाभादसिया के नाम से भी जाना जाता है । वे बांस से टोकरी और अनाज भंडार करने के कंटेनर बनाने के लिए जाने जाते हैं ।
रचनाएँ :-
गुरु नाभादास की तीन कृतियाँ उपलब्ध हैं- ' भक्तमाल ' , ' अष्टयाम ' , ' रामभक्ति संबंधी स्फुट पद ' ।
• ' भक्तमाल ' की रचना अनुमानतः 1585 में की गयी थी और इसमें लगभग दो सौ भक्तों का चरित्रगान है ।
• ' अष्टयाम ' ब्रजभाषा गद्य और पद्य दोनों में पृथक् - पृथक् उपलब्ध है ।
• ' राम संबधी स्फुट पदों ' का उल्लेख शोध रिपोर्टों में मिलता है ।
पंजाब से संबंध :
• ' गुरु नाभा दास ' प्रायः गुरदासपुर जिले के गांव पंडोरी में आते - जाते रहते थे । इस गाँव में मुख्यतः डोम समुदाय के लोग रहते हैं ।
• इस समुदाय के कुछ गुरु भी इसी गाँव में निवास किया करते थे ।
• पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश और जम्मू में भी इस समुदाय की एक बड़ी आबादी निवास करती है ।
•गुरु नाभा दास के निर्देश पर इन राज्यों में ' कुल्लू दशहरा ' नामक त्यौहार एक सप्ताह तक मनाया जाता है । ' महाशा समुदाय ' के करीब 30 लाख लोग पंजाब में निवास करते हैं , जिनमें से एक लाख की आबादी केवल पठानकोट में ही रहती है ।
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